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अब देसी पेमेंट ऐप का होगा बोलबाला, Google Pay को टक्कर देने आ रहा Tata Pay

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द भारत स्टेटस, टेक्नोलॉजी। देश के सबसे बड़े समूह में से एक, टाटा ग्रुप अब पेमेंट एप्लीकेशन में एंट्री लेने वाली है। Tata Pay को रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की तरफ से 1 जनवरी को एग्रीगेटर लाइसेंस भी मिल गया है। Tata Pay, टाटा कंपनी की डिजिटल इकाई Tata Digital का हिस्सा है। इसी के माध्यम से कंपनी डिजिटल बिजनेस करती है।  इससे पहले भी टाटा ग्रुप ने प्रीपेड पेमेंट (मोबाइल वॉलेट) में हाथ आजमाया था, लेकिन इसका रिस्पॉन्स नहीं मिला था। डिजिटल पेमेंट स्टार्टअप के फाउंडर ने कहा, 'पेमेंट एग्रीगेटर लाइट के साथ, टाटा सब्सिडियरी एंटीटीज के साथ सभी ecommerce ट्रांजैक्शन कर सकता है और ये फंड्स को मैनेज करने में काफी मदद भी करेगा।'

इंटेल के सीपीयू में शोधकर्ताओं को मिली एक खामी

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टेक्नोलॉजी  दुनिया भर में Intel प्रोसेसर काफी इस्तेमाल में लिए जाते हैं, और सभी लैपटॉप और डेस्कटॉप में इसका इस्तेमाल भी होता है। इसी बीच इससे जुड़ी एक जानकारी सामने आई है, जो की कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के एक वरिष्ठ अनुसंधान वैज्ञानिक ने दी है। इन्होंने बताया कि इंटेल के प्रोसेसर के आंतरिक चिप डिजाइन में एक कमी है, जिसे डाउनफॉल बोला जाता है। इसका फायदा हैकर्स को हो सकता है, और वो आपके डाटा को हैक कर सकते हैं। इन्होंने बताया कि कुछ सॉफ्टवेयर की मदद से हैकर्स आपके डाटा तक पहुंच सकते हैं। कंपनी ने भी इस खतरे को मीडियम गंभीरता के तौर पर दर्शाया है।

शोधकर्ताओं का कहना है कि उन्होंने प्रमुख एआई-संचालित चैटबॉट्स पर रेलिंग को तोड़ने के तरीके ढूंढ लिए हैं।

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शोधकर्ताओं का कहना है कि उन्होंने ओपनएआई, गूगल और एंथ्रोपिक के प्रमुख एआई-संचालित चैटबॉट्स पर सुरक्षा रेलिंग को तोड़ने के संभावित असीमित तरीके ढूंढ लिए हैं । चैटजीपीटी, बार्ड और एंथ्रोपिक क्लाउड जैसे बड़े भाषा मॉडल को तकनीकी कंपनियों द्वारा बड़े पैमाने पर संचालित किया जाता है। मॉडलों को व्यापक रेलिंग से सुसज्जित किया गया है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि उनका उपयोग नापाक तरीकों के लिए नहीं किया जा सकता है, जैसे कि उपयोगकर्ताओं को बम बनाने का निर्देश देना या घृणास्पद भाषण के पन्ने लिखना। गुरुवार को जारी एक रिपोर्ट में , पिट्सबर्ग में कार्नेगी मेलन विश्वविद्यालय और सैन फ्रांसिस्को में सेंटर फॉर एआई सेफ्टी के शोधकर्ताओं ने कहा कि उन्होंने इन रेलिंगों को बायपास करने के तरीके ढूंढ लिए हैं।